DAV Class 7 Hindi Chapter 13 Question Answer Sahs Ko Salam (साहस को सलाम) are prepared by Hindi subject experts. With the help of these solutions for Class 7 Hindi Gyan Sagar Book, you can easily grasp basic concepts better and faster. Here at SOLUTIONGYAN, chapter 13 Sahs Ko Salam of Hindi book exercises provided at the end of the chapter will be a useful resource for DAV Class 7 students.
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DAV Class 7 Hindi Chapter 13 Sahs Ko Salam Solutions
DAV Class 7 Hindi Chapter 13 Sahs Ko Salam Solutions is given below. Here DAV Class 7 Hindi Gyan Sagar chapter 13 question answer is provided with detailed explanation.
Highlights
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DAV Class 7 Hindi Chapter 13 Question Answer
पाठ में से
1. अशोक कक्ष में उद्घोषक ने अरुणिमा सिन्हा का नाम क्यों पुकारा?
उत्तर: अशोक कक्ष में उद्घोषक ने अरुणिमा सिन्हा का नाम पुकारा क्योंकि उन्हें राष्ट्रपति द्वारा देश के चौथे सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया जाना था।
2. पूरा अशोक हॉल करतल ध्वनि से क्यों गूँज उठा?
उत्तर: पूरा हॉल करतल ध्वनि से गूंज उठा क्योंकि अरुणिमा सिन्हा विश्व की प्रथम विकलांग पर्वतारोही महिला ने विश्व के सबसे ऊँचे शिखर माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की थी और आज उसे उसके अदम्य साहस के लिए राष्ट्रपति भवन में पुरस्कृत एवं सम्मानित किया जा रहा था।
3. राष्ट्रपति से पुरस्कार प्राप्त करते हुए अरुणिमा अपने आपको कहाँ पाती है?
उत्तर: राष्ट्रपति से पुरस्कार पाते हुए अरुणिमा अपने आपको रेल की पटरियों पर जख्मी हालत में पड़ा पाती है।
4. दिल्ली जाते समय ट्रेन में अरुणिमा के साथ क्या घटना घटित हुई?
उत्तर: 12 अप्रैल 2011 को अरुणिमा सिन्हा लखनऊ से पद्मावती एक्सप्रेस से दिल्ली जा रही थी। इसी रेल के सामान्य डिब्बे में कुछ लुटेरे घुस आए और अरुणिमा का पर्स और चेन छीनने लगे। अरुणिमा उनसे भिड़ गई और लुटेरों के पूरे गिरोह ने उसे चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया। इस दुर्घटना में अरुणिमा का एक पैर घुटने से नीचे तक कट गया।
5. अस्पताल के बिस्तर पर पड़े हुए अरुणिमा ने क्या संकल्प लिया और ईश्वर से क्या कहा?
उत्तर: अस्पताल के बिस्तर पर पड़े हुए अरुणिमा ने यह संकल्प लिया कि वह दुनिया के सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट पर अपने चरण-चिह्न अंकित करेगी। अरुणिमा ने ईश्वर से कहा कि तूने मुझे विकलांग बनाया है, अब यह विकलांग विश्व की सबसे ऊँची चोटी पर ही तुझे धन्यवाद देगी।
6. अस्पताल से लौटकर अरुणिमा किससे मिली? उन्होंने उससे क्या कहा?
उत्तर: अस्पताल से लौटकर अरुणिमा ने प्रेरणा स्रोत बचेंद्री पाल से मुलाकात की। उसकी स्थिति को देखकर बचेंद्री पाल ने अरुणिमा का हौसला बढ़ाते हुए कहा, एक दिन तुम्हारा लक्ष्य तुम्हारे कदमों में होगा। तुम्हारा हौसला माउंट एवरेस्ट से कहीं बड़ा है।
7. सफलता का राजमार्ग क्या है?
उत्तर: खुद पर विश्वास, दृढ़ इच्छाशक्ति और अपने लक्ष्य के प्रति संपूर्ण समर्पण ही सफलता का राजमार्ग है।
8. नीचे प्रत्येक प्रश्न के चार-चार उत्तर दिए गए हैं। उचित उत्तर पर सही का चिह्न लगाइए-
(क) अरुणिमा दिल्ली कब जा रही थी?
उत्तर: 12 अप्रैल 2011
(ख) अरुणिमा को पद्मश्री का सम्मान किस वर्ष में मिला?
उत्तर: वर्ष 2015
(ग) अरुणिमा लखनऊ से दिल्ली किस ट्रेन से जा रही थी?
उत्तर: पद्मावती एक्सप्रेस से
(घ) अरुणिमा ने एवरेस्ट पर कब जीत प्राप्त की?
उत्तर: 21 मई 2013
बातचीत के लिए
1. अरुणिमा की तंद्रा कब भंग हुई?
उत्तर: अरुणिमा की तंद्रा तब भंग हुई जब राष्ट्रपति भवन में उद्घोषक ने देश के चौथे सर्वोच्च पुरस्कार के लिए उनका नाम पुकारा।
2. अरुणिमा के मस्तिष्क में सारी घटनाएँ किस तरह आ-जा रहीं थी?
उत्तर: अरुणिमा के मस्तिष्क में सारी घटनाएँ फिल्म के रील की तरह आ-जा रही थी।
3. सभी लोग अरुणिमा का उपहास क्यों उड़ाते थे?
उत्तर: सभी लोग अरुणिमा का उपहास उड़ाते थे क्योंकि एक पैर घुटने से नीचे तक कट जाने के बाद भी अरुणिमा माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई का स्वप्न देख रही थी जिसे आम लोगों ने पागलपन की निशानी समझा।
4. पर्वतारोहण का अभ्यास करते हुए अरुणिमा हताश क्यों हो जाती थी?
उत्तर: पर्वतारोहण के अभ्यास के समय में अरुणिमा हताश हो जाया करती थी क्योंकि 15 मिनट की यात्रा को पूरा करने में उसे 2 घंटे से भी अधिक समय लग जा रहा था।
5. अरुणिमा सारी दुनिया को क्या बताना चाहती थी?
उत्तर: अरुणिमा सारी दुनिया को यह बताना चाहती थी कि शारीरिक रूप से विकलांग होना उतनी बड़ी समस्या नहीं है जितना कि मानसिक रूप से विकलांग होना।
अनुमान और कल्पना
1. यदि अरुणिमा के जीवन में यह हादसा न हुआ होता तो उसका जीवन कैसा होता?
उत्तर: यदि अरुणिमा के जीवन में यह हादसा नहीं हुआ होता तो शायद वह एक बहुत अच्छी फुटबॉल खिलाड़ी होती क्योंकि हादसे से पहले भी उसमें साहस और लगन कूट-कूट कर भरी हुई थी।
2. यदि शारीरिक रूप से विकलांग सभी व्यक्ति अरुणिमा सिन्हा जितनी दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प से संपन्न हो जाएँ तो उनके जीवन में क्या परिवर्तन आ सकता है?
उत्तर: यदि शारीरिक रूप से विकलांग सभी व्यक्ति अरुणिमा सिन्हा जितनी दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प से संपन्न हो जाएँ तो उनके जीवन में भी बहार आ सकती है। वे भी स्वावलंबी होकर अपनी एक अलग पहचान बना सकते हैं।
भाषा की बात
1. पाठ में आए हुए शब्दों से उपसर्ग-प्रत्यय व मूल शब्द अलग कीजिए-
शब्द उपसर्ग प्रत्यय मूल शब्द
(क) सुसज्जित- सु इत सज्जा
(ख) विकलांगता- ता विकलांग
(ग) दुर्घटना- दुर घटना
(घ) सफलता- स ता फल
(ङ) विशिष्ट- वि शिष्ट
2 पाठ में आए हुए कोई चार अनुस्वार और चार अनुनासिक शब्दों को लिखिए-
अनुस्वार अनुनासिक
(क) विकलांगता गूँज
(ख) माउंट टाँग
(ग) बचेंद्री अँधेरा
(घ) घंटा पाँव
3. निम्नलिखित का वाक्य में प्रयोग कीजिए-
(क) उपहास उड़ाना- आज कल के युवा छोटी-छोटी बातों पर दूसरों का उपहास उड़ाते हैं।
(ख) सपनों को साकार करना- अरुणिमा सिन्हा ने कड़ी मेहनत से अपने सपने को साकार कर लिया।
जीवन मूल्य
1. दुनिया के सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट पर अपने चरण-चिह्न अंकित करने का मैंने (अरुणिमा ने) संकल्प लिया-
(क) जीवन में आगे बढ़ने के लिए लक्ष्य निर्धारित करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर: जीवन में आगे बढ़ने के लिए लक्ष्य निर्धारित करने की बहुत आवश्यकता है क्योंकि बिना निर्धारित लक्ष्य के जीवन समुद्र के बीच में पड़े कश्ती के समान होता है जिसे कहाँ जाना है पता ही नहीं। हमें बाज़ार जाना होता है तो हम चीजों की एक सूची बना लेते है तो जीवन में लक्ष्य को निर्धारित करना भी एक महत्त्वपूर्ण काम है तभी जाकर हमारा जीवन सफल होगा।
2. खुद पर विश्वास, दृढ़ इच्छाशक्ति और लक्ष्य के प्रति समर्पण यही सफलता का राजमार्ग है-
(क) आपके जीवन का क्या लक्ष्य है?
उत्तर: मेरे जीवन का लक्ष्य है कि मैं बड़ा होकर एक बिज़नस करूँ और बहुत पैसे कमाऊँ ताकि उन पैसों को मैं समाजसेवा में लगा सकूँ।
(ख) इन गुणों को अपनाकर आप अपने जीवन में किस प्रकार सफलता प्राप्त कर सकते हैं?
उत्तर: खुद पर विश्वास, दृढ़ इच्छाशक्ति और अपने लक्ष्य के प्रति संपूर्ण समर्पण जैसे गुण ही है जो हमें हमेशा अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देते हैं। हमें आम से खास की राह पर चलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।