DAV Class 6 Hindi Chapter 18 Question Answer Panch Parmeshwar (पंच परमेश्वर) are prepared by Hindi subject experts. With the help of these solutions for Class 6 Hindi Gyan Sagar Book, you can easily grasp basic concepts better and faster.
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DAV Class 6 Hindi Chapter 18 Panch Parmeshwar Solutions
DAV Class 6 Hindi Chapter 18 Panch Parmeshwar Solutions is given below. Here DAV Class 6 Hindi Gyan Sagar chapter 18 question answer is provided with detailed explanation.
Highlights
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DAV Class 6 Hindi Chapter 18 Question Answer
पाठ में से
1. जुम्मन और अलगू में मित्रता थी-इस बात का पता कैसे चलता है?
उत्तर: जुम्मन और अलगू बचपन से ही बड़े घनिष्ठ मित्र थे। वे दोनों एक-दूसरे पर आँखें बंदकर के विश्वास करते थे तभी तो उन्हें तीर्थ या हज जाना होता था तो बेहिचक अपने घर की चाबी एक-दूसरे को सौंप जाते थे। हिन्दू-मुस्लिम होते हुए भी उनके दोस्ती के बीच धर्म की कोई दीवार नहीं थी। इसी बात से पता चलता है कि दोनों में बचपन से ही घनिष्ठ मित्रता थी।
2. जुम्मन ने ऐसा क्या किया जिसके कारण मौसी को पंचायत में जाने का फ़ैसला करना पड़ा?
उत्तर: जुम्मन ने बहला-फुसलाकर अपनी मौसी की ज़मीन अपने नाम करवा ली थी और मौसी से वादा किया था कि वह उसे खिलाता-पहनाता रहेगा। परंतु जमीन उसके नाम होने के कुछ दिनों के बाद जुम्मन अपनी जबान से मुकर गया। जुम्मन की पत्नी मौसी को रोटियों के साथ गालियाँ भी देती थीं। रोज़-रोज़ की झिक-झिक से तंग आकर मौसी ने जुम्मन को माहवार पैसे देने की बात कही तो जुम्मन ने इंकार कर दिया। इस बात पर मौसी ने जुम्मन को पंचायत जाने की धमकी दी।
3. अलगू चौधरी अपना नाम सुनकर असमंजस में क्यों पड़ गया?
उत्तर: मौसी ने पंच के लिए जब अलगू को चुना तो अलगू अपना नाम सुनकर असमंजस में पड़ गया क्योंकि उसे अपने प्रिय मित्र जुम्मन के विरुद्ध फ़ैसला सुनाना पड़ेगा जिससे वर्षों पुरानी उनकी दोस्ती में दरार पड़ जाती।
4. नीचे दिए गए कथन किसने किससे, किससे कहे, लिखिए-
(क) बेटा मुझे महीने में कुछ रुपया दे दिया करो, मैं अपना खाना अलग पका लिया करूँगी।
किसने कहा- मौसी ने
किससे कहा- जुम्मन शेख से
(ख) क्या दोस्ती के डर से ईमान को भूल जाओगे?
किसने कहा- मौसी ने
किससे कहा- अलगू चौधरी से
(ग) मौसी जिसे चाहे चुन सकती है, मुझे कोई एतराज नहीं।
किसने कहा- जुम्मन शेख ने
किससे कहा- पंचो से
5. इस कहानी से आपको जो बातें सीखने को मिलीं, उन पर सही का चिह्न लगाइए-
(क) धर्म का भेदभाव नहीं करना चाहिए।
उत्तर: सही
(ख) मित्रता में विश्वास होना जरूरी है।
उत्तर: सही
(ग) किसी को धोखा नहीं देना चाहिए।
उत्तर: सही
(घ) अपना खाना अलग पकाना चाहिए।
उत्तर: गलत
(ङ) अपना बदला ले लेना चाहिए।
उत्तर: गलत
(च) न्याय करते समय दोस्ती को भुला देना चाहिए।
उत्तर: सही
(छ) पशुओं के साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार करना चाहिए।
उत्तर: सही
(ज) बैलों को खरीदना बेचना नहीं चाहिए।
उत्तर: गलत
(झ) सही न्याय करना चाहिए।
उत्तर: सही
(ञ) दूसरों की परेशानियों से दूर रहना चाहिए।
उत्तर: गलत
बातचीत के लिए
1. मौसी की जमीन को चालाकी से अपने नाम करवाने से पहले और बाद में जुम्मन और उसकी पत्नी के व्यवहार में क्या अंतर आया?
उत्तर: जब तक जमीन जुम्मन के नाम नहीं हुई थी तब तक तो जुम्मन और उसकी पत्नी ने मौसी का पूरा आदर-सत्कार किया लेकिन मौसी की जमीन चालाकी से अपने नाम करवा लेने के बाद जुम्मन और उसकी पत्नी ने तो मौसी का आदर-सत्कार करना ही छोड़ दिया। जुम्मन की पत्नी करीमन, मौसी को रोटियों के साथ गालियाँ भी दिया करती थीं। जुम्मन ने तो मौसी को माहवार पैसे देने से भी इंकार कर दिया।
2. मौसी ने पंच के लिए अलगू चौधरी का नाम लिया तो जुम्मन शेख क्यों खुश हुआ?
उत्तर: मौसी ने पंच के लिए अलगू चौधरी का नाम लिया तो जुम्मन शेख इसलिए बहुत खुश हुआ क्योंकि उसे पूरा यकीन था कि उसका मित्र अलगू अपनी मित्रता ज़रूर निभाएगा और फैसला उसी के पक्ष में करेगा।
3. अलगू का फ़ैसला सुनकर जुम्मन को हैरानी क्यों हुई?
उत्तर: अलगू का फ़ैसला सुनकर जुम्मन को बहुत हैरानी हुई क्योंकि उसने कभी भी नहीं सोचा था कि उसका मित्र अलगू उसके विपक्ष में फ़ैसला करेगा।
4. “पंच परमेश्वर की जय”-अलगू ने पंचों का फ़ैसला सुनकर यह क्यों कहा?
उत्तर: “पंच परमेश्वर की जय” अलगू ने पंचों का फ़ैसला सुनकर यह इसलिए कहा क्योंकि उसके और समझू बनिए के विवाद में उसे न्याय मिला था।
अनुमान और कल्पना
1. यदि अलगू चौधरी और जुम्मन शेख पंच बनने के बाद न्याय करने की बजाए मित्रता निभाते तो मौसी का जीवन कैसे बीतता?
उत्तर: यदि अलगू चौधरी और जुम्मन शेख पंच बनने के बाद न्याय करने की बजाए मित्रता निभाते तो मौसी का जीवन दुखों और कष्टों से भर जाता वह दाने-दाने के लिए मोहताज हो जाती। उनके अंतिम क्षणों में कोई भी, उनकी देखभाल करने वाला नहीं होता।
2. इस कहानी का शीर्षक ‘पंच परमेश्वर’ रखा गया है।
(क) ‘पंच परमेश्वर’ शीर्षक क्यों रखा गया है?
उत्तर: पहले के समय में गाँव में न्याय पाँच लोग मिलकर करते थे और न्याय देने वाले का स्थान परमेश्वर के बराबर होता है। इसलिए इस कहानी का शीर्षक पंच परमेश्वर रखा गया है।
(ख) आप इस कहानी के कोई दो उपयुक्त शीर्षक बताइए।
उत्तर: मैं इस कहानी के लिए ये दो शीर्षक रखना चाहूँगा- ‘पंचों का न्याय’ तथा ‘मित्रता और न्याय’।
(ग) यह भी बताइए कि आपने यह शीर्षक क्यों रखे?
उत्तर: मैंने ये दोनों शीर्षक इस कहानी के लिए उपयुक्त समझे क्योंकि कहानी के केंद्रीय भाव को प्रस्तुत करने में ये दोनों शीर्षक सक्षम हैं।
भाषा की बात
1. पाठ में आए हुए ‘ज़मीन’, ‘नफ़रत’ शब्दों में नुक्ते वाले अक्षर ‘ज़’ और ‘फ़’ का प्रयोग हुआ है। अब आप पाठ में आए ज़ और फ़ नुक्ता लगे कुछ और शब्दों को लिखिए-
ज़ नुक्ता = ज़हर, ज़िन्दा, रोज़, एतराज़, कमज़ोर
फ़ नुक्ता = फ़ैसला, फिक्र, साफ़
2. पाठ में आए हुए कुछ मुहावरे नीचे दिए गए हैं। इनके अर्थ समझते हुए प्रत्येक मुहावरे से वाक्य बनाइए-
(क) ताक में रहना- जुम्मन शेख अलगू चौधरी के बैलों को मारने की ताक में है।
(ख) खून का घूँट पीकर रह जाना- निर्दोष होते हुए भी जब चाचाजी ने राजू को डाँटा तो वह खून का घूँट पीकर रह गया।
(ग) फूला न समाना- कक्षा में अध्यापक द्वारा प्रसंसा होने पर सीता फूला न समाई।
जीवन मूल्य
- जुम्मन और अलगू दोनों मित्र थे लेकिन पंच बनने के बाद उन्होंने मित्रता से अधिक न्याय को महत्त्व दिया। यदि आपके जीवन में ऐसी परिस्थिति आए तो-
1. आप अपने मित्र के साथ कैसा व्यवहार करेंगे?
उत्तर: मैं अपने मित्र के साथ सामान्य व्यवहार करूँगा और सच का ही साथ दूँगा।
2. अपने मित्र से अपने प्रति कैसे व्यवहार की अपेक्षा करेंगे?
उत्तर: मैं अपने मित्र से यही उम्मीद रखूँगा कि वह भी न्याय को ही प्रधानता दे और दोस्ती को भुला दे।