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DAV Class 5 Hindi Chapter 3 Question Answer Ped

DAV Class 5 Hindi Chapter 3 Question Answer Ped are prepared by Hindi subject experts. With the help of these solutions for Class 5 Hindi Bhasha Madhuri textbook, you can easily grasp basic concepts better and faster.

Here at SOLUTIONGYAN.com, chapter 3 Ped of Hindi textbook exercises provided at the end of the chapter will be a useful resource for DAV Class 5 students.

Solutions of DAV Class 5 Hindi chapter 3 is help to boost the writing skills of the students, along with their logical reasoning.

Students of class 5 can go through Bhasha Madhuri chapter 3 Ped solutions to learn an effective way of expressing their answer in the DAV school Hindi exam.

DAV Class 5 Hindi Chapter 3 Ped Solutions

DAV Class 5 Hindi Chapter 3 Ped Solutions is given below. Here DAV Class 5 Hindi chapter 3 question answer is provided with detailed explanation.

DAV Class 5 students are more likely to score good marks in Hindi Bhasha Madhuri exam if they practice DAV Class 5 Hindi Chapter 3 Ped Question Answer regularly.

DAV Class 5 Hindi Chapter 3 Question Answer Ped
DAV Class 5 Hindi Chapter 3 Ped

Here, we provide complete solutions of DAV Class 5 Hindi Chapter 3 Ped of Bhasha Madhuri Hindi Textbook.

These exercise of Hindi chapter 3 contains 15 questions and the answers to them are provided in the DAV Class 5 Hindi Chapter 3 Question Answer.

1. कविता में किसकी दिनचर्या का वर्णन किया गया है? सही का निशान लगाइए-

उत्तर: पेड़

2. हज़ारों बीज आँखें मींचकर क्या कर रहे हैं?

उत्तर: हज़ारों बीज आँखें मींचें नम मिट्टी की चादर ओढ़कर सोए हुए हैं।

3. पेड़ किस समय और कैसे खाना खाएँगे?

उत्तर: पेड़ दिन के समय सूरज की रोशनी और अपने पत्तों की मदद से आलोक संश्लेषण की प्रक्रिया से खाना बनाएँगे।

4. शाम होने पर पक्षी क्या करते हैं?

उत्तर: शाम होने पर पक्षी अपने-अपने घोंसलों में लौट आएँगे और सुख-दुख की बातें करकर सो जाएँगे।

5. रात को सोते समय पेड़ कौन-से सपनों में खो जाएँगे?

उत्तर: रात को सोते समय पेड़ हरी-भरी धरती के सुंदर सपनों में खो जाएँगे।

6. रिक्त स्थान भरिए-

कान पकड़कर

सूरज जब

हौले-से धकियाएगा

हड़बड़ करते भागेंगे।

मंजन कर

चाय पिएँगे

धरती के रोशनदानों से

चोरी-चोरी झाँकेंगे

हरे सूट में

भौंचक्के से

एक नई दुनिया

पहचानेंगे।

7. कविता में इन शब्दों का क्या मतलब है?

(क) चादर तानना- सोना

(ख) महटियाए से- मिट्टी से ढके हुए

(ग) जुगनू की लपर-झपर- जुगनू की रोशनी में

(घ) पत्तों की थाली से खाना खाना- पत्तों द्वारा तैयार किए भोजन को खाना।

1. पक्षी कहते हैं कि हम शाम को अपने सुख-दुख की बातें एक-दूसरे से कहते हैं। आप अपने मन की बातें किसे बताते हैं?

उत्तर: मैं अपने मन की बात अपने प्रिय मित्र से कहता हूँ।

2. पेड़ अपना खाना कैसे बनाते हैं? पता कीजिए और फिर कक्षा में चर्चा कीजिए।

उत्तर: पेड़ सूरज की रौशनी से और अपने पत्तों की मदद से खाना बनाते हैं जिसे प्रकाश संश्लेषण कहते हैं।

3. पेड़ों की तरह आप भी तो सपने जरूर देखते होंगे। अपने किसी ऐसे सपने के बारे में बताइए जो आपको बहुत अच्छा लगा हो।

उत्तर: एक बार मैंने अपने सपने में देखा कि वार्षिक परीक्षा में मुझे क्लास में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है।

4. पेड़ हमारे मित्र हैं चर्चा कीजिए।

उत्तर: पेड़ हमारे सच्चे मित्र हैं क्योंकि पेड़ हमें अपने पूरे जीवन काल में फल-फूल, ऑक्सीजन, छाँव आदि अमूल्य चीजों से नवाजता रहता है और बदले में हमसे कभी भी कुछ नहीं माँगता।

1. भागेंगे, पिएँगे, झाँकेंगे, नाचेंगे, जाएँगे-काम वाले अर्थात् ‘क्रिया’ शब्द हैं। इन क्रिया शब्दों का प्रयोग करके वाक्य बनाइए-

भागेंगे- चोर पुलिस को देखकर ज़रूर भागेंगे।

झाकेंगे- गणेश पूजा के विसर्जन के दिन लोग अपने-अपने खिड़कियों से झाकेंगे।

पिएँगे- क्या आप चाय पिएँगे?

नाचेंगे- गणेश पूजा के विसर्जन के दिन लोग खुशी से नाचेंगे।

जाएँगे- कल हम दिल्ली जाएँगे।

2. पाठ में आए कोई छह युग्म शब्द लिखिए-

(क) चोरी-चोरी

(ख) हरी-भरी

(ग) धीरे-धीरे

(घ) सुख-दुख

(ङ) जगर-मगर

(च) लपर-झपर

3. नीचे लिखे शब्दों के समान अर्थ वाले शब्द पाठ में से ढूँढकर लिखिए-

(क) संसार- दुनिया

(ख) वायु- हवा

(ग) जल- पानी

(घ) सूर्य- सूरज

पेड़ों का जीवन दूसरों की भलाई के लिए होता है, क्योंकि वे धरती को हरा-भरा रखते हैं। छाया, फल, फूल, शुद्ध वायु आदि देते हैं। उनमें पक्षी अपना घोंसला बनाकर रहते हैं।

पेड़ों की तरह हमें भी परोपकारी बनना चाहिए, क्यों?

उत्तर: पेड़ों की तरह हमें भी परोपकारी बनना चाहिए क्योंकि परोपकारी बनने से ही हम सही मायनों में मानवता की परिभाषा को परिभाषित कर सकेंगे। परोपकार से ही हम इस दुनिया में सदा के लिए अमर हो सकते हैं।

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