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Dav Class 8 Hindi Chapter 18 Question Answer Nirman

DAV Class 8 Hindi Chapter 18 Question Answer Nirman (निर्माण) are prepared by hindi subject experts. With the help of these solutions for Class 8 Hindi Gyan Sagar Book, you can easily grasp basic concepts better and faster.

These exercise of Hindi chapter 18 Nirman contains 13 questions and the answers to them are provided in the DAV Class 8 Hindi Chapter 18 Question Answer Nirman.

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Dav Class 8 Hindi Chapter 18 Question Answer Nirman
Dav Class 8 Hindi Chapter 18 Nirman

Dav Class 8 Hindi Chapter 18 Nirman Solution

DAV class 8 Hindi Chapter 18 Nirman Question Answer is given below. Here DAV class 8 Hindi chapter 18 Nirman solutions is provided with detailed explanation.

DAV Students can go through class 8 Hindi Gyan Sagar chapter 18 Nirman solutions to learn an effective way of expressing their answers in the exam. Our Hindi solutions help you in understanding the concepts in a much better way.

1. आँधी आने पर आस-पास क्या-क्या बदलाव नज़र आते हैं?

उत्तर: आँधी आने पर धूलि-धूसर हवाओं से भूमि घिर जाती है। दिन में ही रात जैसा प्रतीत होने लगता है। घोर गर्जन होने के कारण जन-जन के हृदय में डर का संचार हो जाता है। पेड़ों की टहनियाँ टूट कर गिर जाती हैं। ऐसे दृश्य को देखकर लगता है जैसे दुनिया पूरी अस्त व्यस्त हो गई है।

2. आँधी से कौन-कौन डरा हुआ था और सुबह की किरणें उन्हें क्या संदेश दे रही होंगी?

उत्तर: आँधी की विभीषिका से चर-अचर अर्थात् जन-जन और कण-कण सभी डरे-सहमे हुए से प्रतीत होते हैं। सुबह की किरणें उन्हें यह संदेश देती है कि दुख के बाद सुख आता ही है। ये सुबह एक नई उम्मीद लेकर आई है कि फिर से अपने-अपने कार्यों में संलग्न हो जाओ।

3. कवि को ऐसा क्यों लग रहा होगा कि इस रात के बाद सुबह नहीं आएगी?

उत्तर: दुख की घड़ियाँ ज्यादा लंबी लगती ही हैं। कवि ने जब देखा कि धूलि धूसर बादलों ने भूमि को इस तरह से घेर लिया है, कि दिन में ही रात लगने लगा तो उनका निराश मन यह मान बैठा कि इस रात की सुबह नहीं होगी।

4. कविता के दिए गए अंश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

नीड़ का निर्माण फिर-फिर,

नेह का आह्वान फिर-फिर!

क्रुद्ध नभ के वज्र दंतों

में उषा है मुसकराती,

घोर गर्जनमय गगन के

कंठ में खग पंक्ति गाती;

(क) ‘नीड़ का निर्माण’ के माध्यम से कवि क्या भाव प्रकट करना चाहता है?

उत्तर: ‘नीड़ का निर्माण’ के माध्यम से कवि यह भाव प्रकट कर रहे हैं कि विपत्ति, कठिनाइयाँ और समस्याएँ हर किसी के जीवन का अभिन्न अंग होता है। इनसे डर कर हमें जीना नहीं छोड़ना चाहिए बल्कि इन पर विजय प्राप्त करते हुए जीवन का आनंद लेना चाहिए।

(ख) ‘क्रुद्ध नभ के वज्र दतों’ में कौन मुसकुरा रहा है?

उत्तर: ‘क्रुद्ध नभ के वज्र दंतों’ में आशा की किरण मुसकुरा रही है। अर्थात् हर समस्या के साथ अवसर भी मौजूद होता है जो हमें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा और अनुभव से लबरेज करता है।

(ग) ‘घोर गर्जनमय गगन’ का क्या अर्थ है?

उत्तर: ‘घोर गर्जनमय गगन’ का यह अर्थ है कि जब आँधी आती है तो इसी गगन से ऐसी गर्जना होती है कि जन-जन और कण-कण भयभीत हो जाते हैं परंतु विपत्ति के बादल हटते ही पंछियों का कलरव वातावरण को मधुर कर देता है।

1. कविता में ‘आँधी’ कष्ट का प्रतीक है। बताइए, कविता में आए ‘निशा’, ‘अँधेरा’, ‘उषा’ शब्द किस अर्थ की ओर संकेत करते हैं?

उत्तर: कविता में ‘आँधी’ कष्ट का प्रतीक है इसी क्रम में ‘निशा’ निराशा का प्रतीक है, ‘अँधेरा’ डर का प्रतीक है और ‘उषा’ आशा या उम्मीद का प्रतीक है।

2 ‘क्रुद्ध नभ के वज्र दतों’ पंक्ति में नभ का स्वरूप कैसा बताया गया है?

उत्तर: ‘क्रुद्ध नभ के वज्र दंतों’ में नभ के दो स्वरूपों के बारे में बताया गया है। पहला जब क्रोधित होकर वज्रपात और गर्जन करना और दूसरा सौम्य होने पर उम्मीद की आभा बिखरते हुए पक्षियों की चहचहाट से वातावरण को मधुर बनाना।

3. हमें दुखों से हार नहीं माननी चाहिए और क्यों? चर्चा कीजिए।

उत्तर: मनुष्य जीवन सुख-दुख के चक्र में सदैव घूमता रहता है, और देखा जाए तो जीवन में दोनों की आवश्यकता होती है परंतु कुछ लोग दुख की घड़ी में इतने दुखी हो जाते हैं कि उम्मीद का दामन ही छोड़ देते हैं, जो कि मानसिक दुर्बलता की निशानी है। मनुष्य को चाहिए कि दुखों से हार न माने और जीवन में धैर्य, साहस और स्फूर्ति के साथ आगे बढ़े। यही हम सभी मानवों का परम गुण होना चाहिए।

1. अगर हमेशा दिन ही रहे और रात न हो, तो क्या होगा?

उत्तर: यदि हमेशा दिन रहे और रात न हो तो यह प्रकृति के नियम के विरुद्ध होगा। इससे पृथ्वी बहुत गरम हो जाएगी और कहीं अधिक बारिश होगी तो कहीं अधिक सूखा। दूसरा, हम सभी के जीवन की रफ़्तार बढ़ जाएगी। चैन के पल जो हम रात में सोकर बिताते हैं वो हमसे दूर हो जाएगा। फलस्वरूप हम तरह तरह की बीमारियों से ग्रसित हो जाएँगे।

2. ‘सृष्टि का नवगान’ का क्या अर्थ है? आपकी कल्पना में सृष्टि का नवगान कैसा होगा?

उत्तर: ‘सृष्टि का नवगान’ का अर्थ है नई दुनिया का फिर से रूपाकार होने का मधुर मंगल गीत। मेरी कल्पना के अनुसार सृष्टि का नवगान प्रकृति अपने में समेटी हुई है जिसे हम बहती हवाओं में सुन सकते हैं, पंछियों की गीतों में महसूस कर सकते हैं, झरने की गौरव गीत और नदियों की बहती निर्मल धाराओं की आवाज़ में पा सकते हैं।

1. ‘नीड़ का निर्माण फिर-फिर’ पंक्ति में ‘फिर-फिर’ शब्द-युग्म किस अर्थ की ओर संकेत करता है? अगर पंक्ति में केवल ‘फिर’ शब्द होता, तो उसका क्या अर्थ होता?

उत्तर: ‘नीड़ का निर्माण फिर-फिर’ पंक्ति में ‘फिर-फिर’ युग्म शब्द ‘बार-बार’ की ओर संकेत कर रहा है। अगर पंक्ति में केवल ‘फिर’ होता तो इसका अर्थ ‘इसके बाद’ होता।

2. नीचे दिए गए शब्दों का सही समानार्थी शब्दों से मिलान कीजिए-

  • निशा – रात
  • भूमि – धरती
  • नभ – गगन
  • भूधर – पहाड़
  • नीड़ – घोंसला

नाश के दुख से कभी

दबता नहीं निर्माण का सुख

प्रलय की निस्तब्धता से

सृष्टि का नवगान फिर-फिर!

1. नाश और निर्माण के बीच क्या संबंध है?

उत्तर: नाश और निर्माण के बीच विपर्याय का संबंध है। परंतु अगर गौर से देखा जाए तो दोनों एक दूसरे के आगे-पीछे चलते हैं, जैसे जब नाश होता है तभी निर्माण की भावना बल पाती है और निर्माण कार्य पूर्ण होता है।

जब बदलते समय में नवनिर्माण की आवश्यकता अति आवश्यक हो जाती है तो नाश करके पुनः नवनिर्माण के कार्य को मूर्त रूप दिया जाता है। नाश और निर्माण प्रकृति और हम मनुष्य अपने-अपने हिसाब से करते ही रहते हैं।

2. नव-निर्माण के समय आने वाली कठिनाइयों का सामना आप कैसे करेंगे?

उत्तर: बात जीवन की हो या फिर नवनिर्माण की उपलब्धियों के मार्ग में कठिनाइयों का आना स्वाभाविक है और मेरा मानना है कि समस्या चाहे कैसी भी क्यों न हो मनुष्य के मस्तिष्क से बड़ी कभी भी नहीं हो सकती। हम मनुष्यों को चाहिए कि हर कठिन परिस्थिति में दृढ़ प्रतिज्ञ और लक्ष्य संकल्पित होकर गंतव्य तक न पहुँच जाने तक जुझारू प्रवृत्ति अपनाए और डटे रहे।

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