DAV class 8 Naitik Shiksha chapter 15 question answer Aarya Samaj Ke Niyam are given below to help the students to answer the questions correctly using logical approach and methodology.
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These exercise of Naitik Shiksha chapter 15 contains 5 questions and the answers to them are provided in the DAV Class 8 Naitik Shiksha Chapter 15 Question Answer.
DAV Class 8 Naitik Shiksha Chapter 15 Aarya Samaj Ke Niyam Solutions
DAV Class 8 Naitik Shiksha Chapter 15 Aarya Samaj Ke Niyam Solutions is given below. Here DAV Class 8 Naitik Shiksha Chapter 15 Aarya Samaj Ke Niyam question answer is provided with detailed explanation.
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Students of class 8 can go through Naitik Shiksha chapter 15 Aarya Samaj Ke Niyam solutions to learn an effective way of expressing their answer in the Naitik Shiksha exam.
DAV Class 8 Naitik Shiksha Chapter 15 Question Answer
Question 1. आर्यसमाज के अंतिम चार नियमों को क्रमानुसार लिखिए।
उत्तर: आर्यसमाज के अंतिम चार नियम हैं-
- सबसे प्रीतिपूर्वक, धर्मानुसार यथायोग्य वर्तना चाहिए।
- अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि करनी चाहिए।
- प्रत्येक को अपनी ही उन्नति से संतुष्ट न रहना चाहिए, किन्तु सबकी उन्नति में अपनी उन्नति समझनी चाहिए।
- सब मनुष्यों को सामाजिक सर्वहितकारी नियम पालने में परतन्त्र रहना चाहिए और प्रत्येक हितकारी नियम में सब स्वतन्त्र रहें।
Question 2. सातवें नियम के अनुसार अन्य लोगों के साथ हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए? संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर: हमारा व्यवहार अन्य लोगों के साथ प्रीतिपूर्वक होना चाहिए। हमें सबके साथ प्यार से बोलना चाहिए, किसी के साथ कड़वा या कठोर व्यवहार नहीं करना चाहिए। हमारा व्यवहार धर्म के अनुसार होने के साथ-साथ यथायोग्य भी होना चाहिए।
Question 3. विद्या और अविद्या से आप क्या समझते हैं? आर्य समाज ने अविद्या के नाश के लिए क्या-क्या कर्म किए?
उत्तर: विद्या का अर्थ किसी भी वस्तु का यथार्थ अर्थात् ठीक-ठीक ज्ञान है। वास्तविकता के विपरीत ज्ञान को अविद्या कहते हैं। अंधविश्वास या किसी भी बात पर बिना सोचे-समझे विश्वास कर लेना भी अविद्या है। आर्य समाज ने कुछ अंधविश्वासों, जैसे- सती-प्रथा, विधवा-विवाह न होना, छुआछुत आदि को समाप्त करने के लिए बहुत कार्य किया है।
Question 4. अपनी उन्नति के साथ-साथ दूसरों की उन्नति का ध्यान रखने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर: अपनी उन्नति के साथ-साथ दूसरों की उन्नति का ध्यान रखने के लिए हमें पहले यह सोच लेना चाहिए कि हमारे इस कार्य से हमारे आसपास रहने वाले अन्य लोगों पर इसका कोई गलत प्रभाव तो नही होगा। हमारा प्रत्येक कार्य हमारी तथा हमारे संपर्क में आने वाले सभी लोगों की शारीरिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक और आत्मिक उन्नति में सहायक हो, बाधक नहीं।
Question 5. आर्य समाज का दसवां नियम सामाजिक व्यवस्था को दृढ़ करने में कैसे सहायक है?
उत्तर: आर्य समाज का दसवाँ नियम सामजिक व्यवस्था को दृढ़ करने में ऐसे सहायक है कि किस अवस्था और क्षेत्र में मनुष्य को स्वतंत्रता से कार्य करना चाहिए और किस अवस्था तथा क्षेत्र में उसे काम करते समय अपनी इच्छा को एक ओर रखकर समाज के हित का ध्यान रखते हुए सामाजिक एवं राष्ट्रीय नियमों के अनुसार आचरण करना चाहिए। जैसे-हम किसी सर्वहितकारी कार्य के लिए धन का दान करना चाहते हैं तो आप अपनी इच्छा से कर सकते हैं परंतु देशद्रोहियों को सहायता देने के लिए आप स्वतंत्र नहीं है।
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